ढोल–नगाड़ों के साथ हुआ ऐतिहासिक भद्राज मेले का आयोजन
देहरादून: 18अगस्त। मसूरी से कुछ ही दूरी पर ऐतिहासिक भद्राज मेले का आयोजन किया गया। भद्राज मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है। यह मंदिर धार्मिक सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में विख्यात है। खराब मौसम के बावजूद यहां हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए और उन्होंने ढोल नगाड़ों के साथ भद्राज देवता की पूजा अर्चना की।
उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र धाम
देहरादून के पास मसूरी की भद्राज पहाड़ी पर स्थित है। भादराज मंदिर मसूरी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दूधली गांव के समीप है। यह मंदिर लगभग 7500 फीट की ऊंचाई पर है। भगवान बलराम को समर्पित यह स्थल आस्था और एडवेंचर ट्रेकिंग, दोनों का अद्भुत संगम है। लोक मान्यता है कि बलराम जी ने यहां पशुपालकों की रक्षा की थी और आज भी भद्राज देवता के रूप में उनकी आस्था के केंद्र बने हुए हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान बलराम ने गायों एवं अन्य पशुओं की सेवा की वह उन्हें एक गंभीर बीमारी से मुक्ति दिलाई। उन्होंने ग्रामीणों को परेशान करने वाले एक राक्षस का वध कर उनकी वह उनके पशुओं की रक्षा की। तभी से ग्रामीणों ने इस स्थान पर भादराज देवता के मंदिर की स्थापना कर उनकी पूजा अर्चना शुरू की।