उत्तराखंड में फिर से जीवन का आधार बनेंगे सूखे हैंडपंप
डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना के तहत उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में सीधे इंजेक्ट किया जाएगा
देहरादून, 19 अगस्त 2025: उत्तराखण्ड में जल संकट की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए आज एक महत्वपूर्ण पहल का शुभारंभ हुआ। विधानसभा भवन, भराड़ीसैंण में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से विकसित “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का अनावरण किया। यह योजना राज्य में गिरते भूजल स्तर को सुधारने और सूखे हैंडपंपों को फिर से चालू करने का एक अनूठा प्रयास है। इस अवसर पर ‘वाइब्रेंट बर्ड ऑफ कोटद्वार’ नामक एक फोटो संग्रह का विमोचन भी किया गया।
मुख्यमंत्री ने इस योजना को जल संरक्षण के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तकनीकी नवाचारों को अपनाकर जल संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। विधानसभा अध्यक्ष ने जल संरक्षण को उत्तराखण्ड के भविष्य की जीवनरेखा बताया। उन्होंने जोर दिया कि भूजल पुनर्भरण भविष्य की जल सुरक्षा का आधार बनेगा और यह योजना राज्य में सतत जल प्रबंधन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए 8 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, भराड़ीसैंण और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे। “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” के तहत, उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हो चुके हैंडपंपों में सीधे इंजेक्ट किया जाएगा, जिससे भूजल स्तर बढ़ेगा और वे फिर से काम करने लगेंगे।
यह अत्याधुनिक तकनीक स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के विशेषज्ञों द्वारा विकसित की गई है। योजना के पहले चरण में, ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों के 20 चयनित हैंडपंपों को पुनर्जीवित कर उन्हें फिर से क्रियाशील बनाया जाएगा। यह प्रयास उत्तराखण्ड में जल प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान, विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम – प्रोफेसर एच.पी. उनियाल, नितेश कौशिक, सुजीत थपलियाल, राजकुमार वर्मा, अतुल उनियाल, अभिषेक उनियाल और शक्ति भट्ट ने योजना की विस्तृत तकनीकी प्रक्रिया पर प्रस्तुति दी। उन्होंने समझाया कि कैसे यह तकनीक वर्षा जल को फ़िल्टर और उपचारित कर सीधे भूजल भंडार तक पहुंचाती है, जिससे सूखे हैंडपंप फिर से जीवंत हो जाते हैं। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें गैरसैंण क्षेत्र के गांवों में लागू की गई इस तकनीक के सकारात्मक परिणामों को दर्शाया गया।
इस अवसर पर वन मंत्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायकगण, विभिन्न विभागों के सचिव और विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित स्वामी राम विश्वविद्यालय के अधिकारी भी उपस्थित रहे।