टिहरी झील में साहसिक खेलों का नया अध्याय लिखेंगी महिलाएं
बेसिक व्हाइट वाटर कयाकिंग का विशेष कोर्स शुरू
- नई टिहरी, 19 अगस्त : उत्तराखंड की सुरम्य टिहरी झील में आज से महिलाओं के लिए एक अनूठा और रोमांचक अभियान शुरू हो गया है। जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल, नितिका खंडेलवाल ने कोटि कॉलोनी में 14-दिवसीय महिला बेसिक व्हाइट वाटर कयाकिंग कोर्स का विधिवत शुभारंभ किया। यह प्रशिक्षण न केवल छात्राओं को साहसिक खेलों का अनुभव देगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
शुभारंभ अवसर पर जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा, “यह केवल एक साहसिक खेल नहीं, बल्कि एक जीवन रक्षक कौशल भी है।” उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से वे अपने डर पर काबू पाने के साथ-साथ दूसरों की जान बचाने का हुनर भी सीखेंगी। उन्होंने उत्तराखंड में साहसिक खेलों के व्यापक अवसरों का उल्लेख करते हुए छात्राओं से अपने “पैशन को जीवित रखने” और चुनौतियों से सीखने की अपील की।
साहसिक खेल अधिकारी सीमा नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड पर्यटन सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा यह प्रशिक्षण टिहरी झील में आयोजित किया जा रहा है। इस कोर्स के बाद छात्राओं को गंगा नदी में एडवांस प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे वे रिवर गाइड और कयाकिंग गाइड के रूप में रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगी।
जिला पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण में पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उधमसिंह नगर के साथ-साथ टिहरी जनपद के धनोल्टी और कीर्तिनगर क्षेत्रों से कुल 20 छात्राएं भाग ले रही हैं। छात्राओं के भोजन और आवास की व्यवस्था आईटीबीपी द्वारा की गई है, जो उन्हें अनुशासन का प्रशिक्षण भी देगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करना है।
प्रशिक्षण में पांच अनुभवी प्रशिक्षकों की टीम छात्राओं का मार्गदर्शन करेगी, जिसमें धर्मेंद्र नेगी, तीस नदियों में तैराकी के विशेषज्ञ ऋषि राणा, प्रियंका राणा, अंकित भंडारी, मितेश नेगी और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले अरविंद रतूड़ी शामिल हैं।
इस अवसर पर जल क्रीड़ा विशेषज्ञ भूपेंद्र सिंह, आईटीबीपी के जवान, प्रशिक्षण टीम के सदस्य और सभी प्रतिभागी छात्राएं उपस्थित रहीं। यह पहल उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।